खुश और अलगारी Khush Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

खुश और अलगारी Khush

खुश और अलगारी

भूलने ने दो उन्हें
हम आज क्यों सोचे है
कल की फ़िक्र आज क्यों?
संसार रहेगा ज्यों का त्यों।

हमने आना
फिर चले जाना
बस सिर्फ रीत को निभाना है
अपना फर्ज अदा करना है।

हवाका झोंका आएगा
बरगद का पेड़ भी हिल जाएगा
कुछ ज्यादा हुआ तो गिर जाएगा जमीनपर
यही होना है हम और आप पर।

कौन पढ़ेगा आपकी आपबीती
रात थी जो गई या बीती
निशाँ ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे
कारवाँ निकल गया होगा और बाकी भी सब बिछड़ेंगे।

जमाना हम पर पड़ा भारी
पलके हुई आंसुओ से भरी
दिल में एक टीस सी उठी और दे दी चिंगारी
जीवन में हम रहे खुश और अलगारी

भूलने ने दो उन्हें
हम आज क्यों सोचे है
कल की फ़िक्र आज क्यों?
संसार रहेगा ज्यों का त्यों।

हमने आना
फिर चले जाना
बस सिर्फ रीत को निभाना है
अपना फर्ज अदा करना है।

हवाका झोंका आएगा
बरगद का पेड़ भी हिल जाएगा
कुछ ज्यादा हुआ तो गिर जाएगा जमीनपर
यही होना है हम और आप पर।

कौन पढ़ेगा आपकी आपबीती
रात थी जो गई या बीती
निशाँ ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे
कारवाँ निकल गया होगा और बाकी भी सब बिछड़ेंगे।

जमाना हम पर पड़ा भारी
पलके हुई आंसुओ से भरी
दिल में एक टीस सी उठी और दे दी चिंगारी
जीवन में हम रहे खुश और अलगारी

खुश और अलगारी    Khush
Monday, August 14, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 October 2017

Abdul Rashid Khan 3 mutual friends Friend

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Mehta Hasmukh Amathalal 13 October 2017

Abdul Rashid Khan 3 mutual friends Friend Friends welcome Mzert Ka Thape Hlapane 1 mutual friend Friend

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 13 October 2017

welcome Manisha Mehta 30 mutual friends

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 14 August 2017

welcome amar pandey Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 14 August 2017

। जमाना हम पर पड़ा भारी पलके हुई आंसुओ से भरी दिल में एक टीस सी उठी और दे दी चिंगारी जीवन में हम रहे खुश और अलगारी

0 0 Reply
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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