खुश और अलगारी
भूलने ने दो उन्हें
हम आज क्यों सोचे है
कल की फ़िक्र आज क्यों?
संसार रहेगा ज्यों का त्यों।
हमने आना
फिर चले जाना
बस सिर्फ रीत को निभाना है
अपना फर्ज अदा करना है।
हवाका झोंका आएगा
बरगद का पेड़ भी हिल जाएगा
कुछ ज्यादा हुआ तो गिर जाएगा जमीनपर
यही होना है हम और आप पर।
कौन पढ़ेगा आपकी आपबीती
रात थी जो गई या बीती
निशाँ ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे
कारवाँ निकल गया होगा और बाकी भी सब बिछड़ेंगे।
जमाना हम पर पड़ा भारी
पलके हुई आंसुओ से भरी
दिल में एक टीस सी उठी और दे दी चिंगारी
जीवन में हम रहे खुश और अलगारी
भूलने ने दो उन्हें
हम आज क्यों सोचे है
कल की फ़िक्र आज क्यों?
संसार रहेगा ज्यों का त्यों।
हमने आना
फिर चले जाना
बस सिर्फ रीत को निभाना है
अपना फर्ज अदा करना है।
हवाका झोंका आएगा
बरगद का पेड़ भी हिल जाएगा
कुछ ज्यादा हुआ तो गिर जाएगा जमीनपर
यही होना है हम और आप पर।
कौन पढ़ेगा आपकी आपबीती
रात थी जो गई या बीती
निशाँ ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे
कारवाँ निकल गया होगा और बाकी भी सब बिछड़ेंगे।
जमाना हम पर पड़ा भारी
पलके हुई आंसुओ से भरी
दिल में एक टीस सी उठी और दे दी चिंगारी
जीवन में हम रहे खुश और अलगारी
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। जमाना हम पर पड़ा भारी पलके हुई आंसुओ से भरी दिल में एक टीस सी उठी और दे दी चिंगारी जीवन में हम रहे खुश और अलगारी
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