कोई अपवाद नहीं यहाँ .... Koi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कोई अपवाद नहीं यहाँ .... Koi

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कोई अपवाद नहीं
शुक्रवार, १२ अक्टूबर २०१८

नहीं सहा जाता
जब कोई हमारे देश के बारे में बोलता
देश को नीचा दिखाने की कोशिश करता
और कोई भी कसार नहीं छोड़ता।

राजकारणी इसमें अपवाद नहीं
इन्होने ही बढ़ाया है वाद यही
दूसरे देश में जाकर वतन की करते है नुक्ताचीनी
ऐसे सपोलों लो नहीं बक्शना जो पहुंचाते है हानि।

पहले देश में इकठ्ठा करते थे चंदा
अब रिश्वत के आरोपों से गले में आ गया है फंदा
अब विदेशों से मिलने लगा है धन
सोचो देश को लूटने वाले है कौनकौन?

भष्टाचारी सलाखों के पीछे चले गए
कइयों के बैंक खाते सील कर दिए गए
उनकी राजकीय कारकिर्दी खतरे में पड गई है
लोगों के सामने जाने की हिम्मत भी चली गई है।

व्यापारियों ने भी खूब चुना लगाया है
बैंको को नादारी के कगार पर लाके रख दिया है
धंधे में नुकसान समझा जा सकता है
पर पूरा का पूरा पैसा निगल जाना समज के बहार की बात है।

हसमुख अमथालाल मेहता

कोई अपवाद नहीं यहाँ .... Koi
Friday, October 12, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 October 2018

व्यापारियों ने भी खूब चुना लगाया है बैंको को नादारी के कगार पर लाके रख दिया है धंधे में नुकसान समझा जा सकता है पर पूरा का पूरा पैसा निगल जाना समज के बहार की बात है। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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