कोई नहीं पूछता
कोई नहीं पूछता घर में
सब व्यस्त है अपने काम में
में आता हूँ धीरे से और बैठ जाता हूँ
पुरे हुए दिन की समीक्षा करता हूँ।
सब वयस्क हो गए है
अपने में मस्त और मशगूल हो गए है
में ज्यादा चंचूपात नहीं करता
अपने आप में सम्हाल कर रहता।
में धीरे से उनके पास जाती हूँ
सर पे धीरे से बाम घिसकर सहलाती हूँ
दुनियाभर का गम मानो उनके सर पर है
मन में उनके भरपूर प्यार पर भी है।
सबके अपने अपने कार्य क्षेत्र है
पर घर में घर सब मित्र है
एक दूसरे की समझ है
किसी चीज के लिए झड़प नहीं है।
माँ के लिए यह अभिशाप नहीं है
इसमें उसकी निष्पाप भागीदारी है
किसी को माँ के लिए समय नहीं
पर हाँ, कोई भी गीला या रंज मन में नहीं है।
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माँ के लिए यह अभिशाप नहीं है इसमें उसकी निष्पाप भागीदारी है किसी को माँ के लिए समय नहीं पर हाँ, कोई भी गीला या रंज मन में नहीं है।