कृतज्ञ समझो
हम सर झुका देते है
जब भी कोई हसीना सामने आती है
अपने दिल से कुछ कहती है
और हमारा शुक्रिया कुबूल करती है।
उनके हमारे पर है उपकार
हम देते है शुभेच्छा और आवकार
जिंदगी में वो उछःलते रहें
अपनी बात सही दिल से कहते रहे।
हम तो उनकी अच्छाई देखते है
उनकी मासूमियत की सराहना करते है
जो सामने दिखाई पड़ता है उसकी ही बात करते है
पर बात बात में खिल्ली भी उडा देते है।
इंसानियत की बात आती है तो वो खिन्न हो जाते है
हमसे भी कभी कभी भिन्न अन्दाज में बोलते है
हम उनके कठोर शब्दों को सहजता से लेते है।
आदमी ही आदमी की भाषा समझता है।
बात बात में उलझना अच्छा नहीं
किसीको भी अपनी नज़रो मे ही गिराना अच्छा नहीं
रखो उतना ही सम्बन्ध जिसे सम्हाल पाओ
अपने आपमें अच्छा करके कृतज्ञ समझो।
बात बात में उलझना अच्छा नहीं किसीको भी अपनी नज़रो मे ही गिराना अच्छा नहीं रखो उतना ही सम्बन्ध जिसे सम्हाल पाओ अपने आपमें अच्छा करके कृतज्ञ समझो।
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