क्यों है उदासी?
मंगलवार, ४ दिसम्बर २०१८
ओ व्रजवासी
क्यों है उदासी?
मन में बसे मोरे बनवारी
चिंता हरो मोरे हरी।
तुम्हे ना देखे तो, ना होता सवेरा
आपके दर्शन से दूर होता अन्धेरा
मन मेरा तरसे, देखने को ग्वाला
दर्शन हो जाएतो, हो जाए उझाला।
ऐसा आपका, चला है जादू
कोई बता दे मै कैसे देखूं?
सब आपकी है बलिहारी
मुरली मनोहर ओ गिरधारी।
उसकी याद में हम बहावरे
ना किसी की याद धरे
देखने बाद पाँव ऐसे थिरके
जैसे मिले आनंद भजन करके।
अब तो सताना क्यों ना छोडो?
हम सब का दिल, काहे को तोड़ो
सामने आके हमसे लड़ो
पर व्रज को, कभी ना तरछोडो
हसमुख मेहता
अब तो सताना क्यों ना छोडो? हम सब का दिल, काहे को तोड़ो सामने आके हमसे लड़ो पर व्रज को, कभी ना तरछोडो हसमुख मेहता
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A very devotional poem dedicated to God Kanha....thanks for sharing...enjoyed your poem...