मुझे जीने दो (Let Me Live) Poem by Dr. Sada Bihari Sahu

मुझे जीने दो (Let Me Live)

Rating: 5.0

मैं जीना चाहती हूँ
संसार का एक अभिन्न अंग हूँ
सुन्दरता की प्रतीक
ममता की मूरत
त्याग-भरा जीवन मेरा
दिया मैंने ममता का आँचल
बहन का प्यार
अर्धांगिनी की सेवा-समर्पण और विश्वास
माता-पिता को दिया सम्मान
मैं हुँ फूलों की तरह कोमल
अंदर से लोहे की तरह सुदृढ़
नहीं मैं अबला, न दुर्बला
मैं हूँ शक्ति
मेरे बिना संसार का अस्तित्व अधूरा
ना मुझे दुत्कारो न करो अपमानित
दिल से लगाओ और अपनाओ
न फेंको कूड़ेदानों में
मत मारो मुझे कोख में जन्म से पहले
न जलाओ दहेज के लोभ में
मुझे भी जीने दो
पंच रुपों में-
माँ, बेटी, बहू, बहन, अर्धांगिनी।

Friday, December 1, 2017
Topic(s) of this poem: love and life,social injustice
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This is a poem on Hindi Language and talk about the existence or importance of girl child.
COMMENTS OF THE POEM
Dr Dillip K Swain 02 December 2017

A beautiful poem dear poet Keep it up

1 0 Reply
Sada Bihari Sahu 05 December 2017

Thanks a lot for your nice comments Dr. Dillip.

0 0
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success