एक ही नामm Ek Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

एक ही नामm Ek

एक ही नाम

यही चाँद है
और यही आकाश है
फिर भी कभी रात है
और कभी दिन है

हमने सिर्फ इबादत की
और शहादत दी
हमारे खातिर
बस एक मान के खातिर।

एक ही गुमान है
धर्म में ईमान है
हम तो इंसान है
फिर भी रखे साथ शान है।

मेरे बिचार पाक
जब तक हो जाऊ ख़ाक
एक ही आवाज
और सजदे के लिए भी एक ही साज।

मिला है ाक एक सहारा
जुबान पे नाम हो तुम्हारा
हो जाय जिंदगी तमाम
फिर भी जपु एक ही नाम।

एक ही नामm Ek
Thursday, August 10, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 10 August 2017

welcome manisha mehta Like · Reply · 1 · Just now

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 10 August 2017

Pakeeza Rizvi Indeed :) Buhat shukriya sir apki amad ka Sadaa khush raheye :) Like · Reply · 1 · 2 hrs Manage

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 10 August 2017

thanks pakeeza Like · Reply · 1 · Just now

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 10 August 2017

हम तो इंसान है फिर भी रखे साथ शान है। मेरे बिचार पाक जब तक हो जाऊ ख़ाक एक ही आवाज और सजदे के लिए भी एक ही साज। मिला है ाक एक सहारा जुबान पे नाम हो तुम्हारा हो जाय जिंदगी तमाम फिर भी जपु एक ही नाम।

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success