मन को शांत
Tuesday, February 20,2018
6: 46 PM
जहाँ भी हो
आभी जाओ
गले से लग जाओ
और हमें ना तड़पाओ।
नहीं होती नाराजगी
करते रहे हम आवारगी
श्यामत आके ही रहेगी
दिल को ओर जला देगी।
हम राह देखते रहे
अंदर ही अंदर जलते रहे
मन करता रहा मिलने को
और कोसत्ता रहा अफ़साने को।
मन मचाये शोर
नजर गड़ाए किस और?
सालों गुजर जाएंगे पर कब होगी भोर
बस मचता रहेगा यूँ ही शोर।
अब नहींरहेगी सबुरी!
कब तक रहेगी मज़बूरी?
महोब्बत नहीं होती बुरी
बशर्ते हो सब आशाएं पूरी।
में सोचने पर अडा हूँ
धरती पर यूँ ही खड़ा हूँ
मस्तक आकाश की और
और आँखे निचे करे पुकार।
अकेलेपन को क्यों सहे हम?
मन में छाया रहा गम
आप अभी तो आओ
मेरे मन को शांत कर जाओ।
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अकेलेपन को क्यों सहे हम? मन में छाया रहा गम आप अभी तो आओ मेरे मन को शांत कर जाओ।