मन तो मंदिर है
जादू को रखो बाजू
और लो अपना तराजू
तोल लो जिंतना मरजी चाहे
बस ना हो फर्जी राहें।
जीतनी सोच ऊँची
उतनी ही इमारत गगनचुम्बी
रहने की सोचो आज ही
हो जायेगी आपकी सांज होते होते ही।
अलादीन के जादुई चिराग से नहीं
शेखचिल्ली की सोच से नहीं
अपनी सोच अपना दिमाग
खोज ही लोंगे अपना मारग।
गागर में सागर
छोटा सा हो जाएगा समंदर
यदि चाह है आपके भीतर
हौंसला है बुलंद है और कमान तैयार।
चाँद के बारेमे सोचा करते थे
उलटी सीधी कहानियां भी लिखा करते थे
आज उधर जाकर बसने की बात हो रही है
उहइ भेजा है, वही इंसान है हम भी यहीं ही है।
सोच रख इतनी बुलंद की उसे आकर पूछना पड़े
तुझे आशीर्वाद दे दे और पूछना पड़े
बोल, आज तुझे किस चीज की जरुरत है
तो तेरे पास शोहरत भी है।
मन तो मंदिर है
आवाज और होंसला अंदर ही है
बस करलो खर्च इंसानी फायदे के लिए
सब कुछ तो है जरूरतमंदों के लिए।
मन तो मंदिर है आवाज और होंसला अंदर ही है बस करलो खर्च इंसानी फायदे के लिए सब कुछ तो है जरूरतमंदों के लिए।
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welcome sayda layla Unlike · Reply · 1 · Just now 1 hour ago