मना ना करना... Mana Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मना ना करना... Mana

Rating: 5.0

मना ना करना
शनिवार, २० जुलाई २०१९

कहो ना, कहो ना
दिल से कह दो ना
मना कभी ना करना
दिल ने तुम्हे सदा चाहा। कहो ना

रात भर सताते हो
सपने भी नहीं आते हो
यही है समस्या
चांदनी रात में में भी लगे मुझे अमावस्या। कहो ना

नहीं जानता में कैसे मिला
मेरे दिल में है यही गीला
ये कौन सी हो रही है लीला?
मैं क्यों हो गया मतवाला?

अब तुम्हे ही है सोचना
बना नहीं मुझे अपना सजना
रोज आते रहो, मेरे सपने सजाते रहो
मेरे दिल को धीरे से सहलाते रहो। हो ना

होगा अपना मिलान
जब होगी सूरज की ढलान
शाम का असर जरूर होगा
तुम्हे अपना बनाना होगा। कहो ना

हसमुख मेहता

मना ना करना... Mana
Friday, July 19, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

होगा अपना मिलान जब होगी सूरज की ढलान शाम का असर जरूर होगा तुम्हे अपना बनाना होगा। कहो ना हसमुख मेहता Hasmukh Amathalal

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success