मतों का ध्यान
शुक्रवार, १४ दिसंबर २०१८
आज मुझे कुछ नहीं कहना
मेरा देश कहाँ जा रहा?
पर जो भी हो रहा देश की भलाई
और लोगों की खुशहाली के लिए।
आज भी देश के पिछड़े लोग वहीँ के वहीँ हे
उनको आगे आनेका मौक़ा नहीं दिया है!
बस पिछड़ा पिछड़ा करके वहां के वहां ही रखा
बस मतों को ध्यान में रखकर ही किया।
कोई कह सकता है वो पीछे क्यों रहे?
सत्तर साल का समय काम नहीं है
बाकि जनता गरीब की गरीब ही है
क्यों कोई उनके बारे में सोचता नहीं है?
आज समय आ गया है
गरीब को गरीब जकी श्रेणी में रखें
देशहित में सब की भागीदारी एक ही रही है
सब आगे बढे ऐसी मनसा सभी की है
आज आप कोई भी दफ्तर जाओ
कर्मचारी नशे में धुत पाए जाते है
जिन के हाथ में कायदे की धुरा है
वो हो लोग आज ऐसे कार्यो में लिप्त है।
हसमुख मेहता
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
आज आप कोई भी दफ्तर जाओ कर्मचारी नशे में धुत पाए जाते है जिन के हाथ में कायदे की धुरा है वो हो लोग आज ऐसे कार्यो में लिप्त है। हसमुख मेहता