में बेवफा निकला
Friday, April 6,2018
2: 15 PM
तेरे अफ़सानो ने मुझे मजबूर कर दिया
भले ही में तुजसे अलग हो गया
प्रेम की डोर तो मजबूत ही थी
बस तेरा एक छोरही तो कमी थी।
कमी का एहसास जरूर है
पर हम नदी के दो छोर है
पानी बह तो जरूर रहा है
पर मन प्यासा का प्यासा ही रहा है।
अब क्या बाकी रह गया है?
सब कुछ तो लूट गया है
उनको लगता है, में बेवफा निकला
मेरा तो निकल ही गया दिवाला।
मैं रुका तो जरूर
पर उनकी नफरत ने कर दिया मजबूर
दुनिया जैसे मेरी बेरी बन गयी
मेरे मन और चेन को उड़ा ले गयी ।
मेरा भरोसानही उठ गया है
पर दुगुना हो गया है
प्रेम पर मेरा अधिकार तो नही
पर अनादर भी तो नहीं।
मेरा भरोसा नही उठ गया है पर दुगुना हो गया है प्रेम पर मेरा अधिकार तो नही पर अनादर भी तो नहीं।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
ishi Lakhwara Waah! Thanks 🙂 1 Manage LikeShow more reactions · Reply ·