में दोहराता जाउंगा
पुरी काविता लिखू तेरे साथ
यदि मिल जाए सहयोग और संगाथ
तू सुनती रहे बनके मस्त और मगन
बस यही है मेरे दिल की लगन
तू है परछाई मेरी सदा के लिए
कह दे ' हाँ 'म्रेरे वास्ते वादा किए
ना छोड़ेगी संग पलभर के लिए
जीवन तो है पगभर होने के लिए
बस येही है दिली राज
वो सब खोल देती है राज
वो खुश है आज मुझे देखकर
मुस्कुरा रही हे चेहरे का भाव पढ़कर
वो सूरज है रौशनी के रूप में
शीतल बनी है चांदनी के स्वरुप में
आजकल मुझे फुर्सत मिलती नहीं
वो है की वैसे सामने आते ही नहीं
वो कह देती है 'में हाथ नहीं आउंगी'
देखना तो दूर नजर भी नहीं आउंगी
ये शब्द मुझे छलनी कर देते है
वो है बातूनी पर मुझे कहानी का रूप बता देते है
मैंने वचन दिया है उन्हें
पक्के शब्दों में जैसे लकीर के लम्हे
वो सदा खुश रहे येही है दिली तमन्ना
पर होता रहे सदा आमना सामना
वो बनी है तरुवर की छाया
मेरा ही प्रतिबिम्ब ओर साया
उसके हर लब्ज मुझे उलझा रहे है
वो धीरे से मेरे कान में कुछ कह रहे है
सुनों ध्यान से 'यदि में आपको न मिली
किसे पूछोगे अता पता, शहर और गली
में ये सुनकर बेहोश हुआ जा रहा हु
निराश होकर सर झुका कर सुन रहा हूँ
में खुश हुआ था चाँद को पाकर
अब धुंधला सा लग रहा है देखकर
उसकी हर बात मुझे खाए जा रही है
पर वो मुझे धीरे से समझा भी रही है
'प्यार तो होता ही है एसा'
कभी पूरी नहीं होती सबकी मनसा
प्यार खिलौना थोड़े ही होता है जो खेलने को मिल जाय
ये तो किस्मत है जो सबको नचाय
शायद सूरज डूबने को है
अँधेरी रात मुझे आगोश में लेनेवाली है
में तन्हाई शायद सहन नहीं कर पाउंगा
उसकी हर बात में दोहराता जाउंगा
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