में रहा बेखबर
में रहा बेखबर
सोता रहा बराबर
गुरुर था अपने मन
शरीर में शोष्ठव था और महाकाय था तन।
भगवान् ने बुद्धि भी थी
धन की भी वृद्धि की थी
परिवार भी सुखी था
पर मन से में दुखी था।
लोग मेरे ऐश्वर्य से मानो जल रहे थे
मानो वंचित रेहनेका शोक जता रहे थे
वो उनका सोचना था
पर मेरी कमी को मै खुद नहीं जाना था।
जीवन को ही नहीं जाना
करता रहा सब काम मनमाना
गगन को चूमनेकी इच्छा बलवत्तर रही
यही कामना अंतर बढाती रही।
जब जीवन ही क्षणभंगुर रहा
तो फिर दुसरा मतलब रहा कहाँ?
दिल का टूटना और जुड़ना
यह तो है एक प्रकार प्रताड़ना।
सपने अपनी जगह है
उसकी कुछ वजह है
वास्तविकता ही नजर का धोखा है
देखकर भी ना समझना 'असंयम अनोखा है '
welcome Jane Ammogawen Ascano Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome tribhovan panchal Unlike · Reply · 1 · Just now
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सपने अपनी जगह है उसकी कुछ वजह है वास्तविकता ही नजर का धोखा है देखकर भी ना समझना 'असंयम अनोखा है '