'मेरी मस्ती ही मेरी अमिरी है '
कौन से गाँव के बने मीर
और क्या करोगे बनके अमीर?
कोई ना बनाएगा मजार!
ना मिलेगा आपको कोई जुहार।
कोन होता है सच्चा दोस्त?
जो कर देता है पस्त
सब तकलीफें जब आप होते है त्रस्त
फिर आप भुल जाते हैं उन्हें जब रहते है व्यस्त।
अमिर बनना गुनाह नहीं
गरीब को पनाह देना आप के बस में नहीं
आपके वो सब रंगीनी दिखाई देगी
जो राते शराब में डुबाकर रख देगी।
आज तक कौन कृष्णा बन पाया है?
किस ने सुदामा हालचाल पूछा है?
सब अपने अपनी डींगे मार रहे है
वक्त आने पर वो ही कातिल मार करते है।
मेरा सारा धन ले लो
पर मुसीबत झेलने की हिम्मत दो
अमीरी क्या है और फकीरी?
बस दोनों कर देते है किरकीरी।
सारा जहाँ यदि मुझे मिल जाए तो भी क्या है?
यदि मेरी साँसे मेरे पास नहीं है
वो सच्चे लोग मेरे इर्दगिर्द नहीं है
अरे मेरा साया भी मेरा हमदर्द नहीं है!
अमीर बन जाना और गरीब का होना अभिश्राप है
वह सोच ही महापाप है
यदि दो नो विषमताएं आपको दुखी कर रही है?
तो कह दो अपने मन से 'मेरी मस्ती ही मेरी अमिरी है '
अमीर बन जाना और गरीब का होना अभिश्राप है वह सोच ही महापाप है यदि दो नो विषमताएं आपको दुखी कर रही है? तो कह दो अपने मन से 'मेरी मस्ती ही मेरी अमिरी है '
WELCOME ANUPRIYA GUPTA Unlike · Reply · 1 · Just now
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welcome Rajesh Labana Unlike · Reply · 1 · Just now