मिल जाए कोई साथी
मंगलवार, २ अक्टूबर २०१८
नाही है मुझे गाना
और नाही बझाना
समस्या है सुलझाना
नहीं की उसे उलझाना।
क्या बेसुरा है राग?
कैसा है माहौल इस जग!
सब की में एक ही खून
खूब होता है चरित्रहनन।
भरा पड़ा है जिस्म
सब दोषों से भरा और नहीं इसका इल्म
ढाए जा रहे है जुल्म चारो ओर
अब तो लगने लगा है डर।
ना कोइ तेरा और ना कोई मेरा
सबका है बस एक ही डेरा
हो जाए कही भी सवेरा
बस छंट जाए अन्धेरा।
आज बस एक ही है अंदेशा
सब की बस एक ही है मंशा
ना मिले जीवन में हताशा
ना बन जाए जीवन एक तमाशा।
हमें चलते रहना है
सब की कदर करना है
मिल जाए कोई साथी तो अपनाना है
उसको अपना भी बनाना है।
हसमुख अमथालाल मेहता
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
हमें चलते रहना है सब की कदर करना है मिल जाए कोई साथी तो अपनाना है उसको अपना भी बनाना है। हसमुख अमथालाल मेहता