क्या होती है माँ Mothers Day Poem In Hindi Poem by Vikas Kumar Giri

क्या होती है माँ Mothers Day Poem In Hindi

तुझे कुछ होने पर जिसका
कलेजा छलनी हो जाता
वो होती है माँ

खुद जमीन पर सोकर
तुझे अपनी बिस्तर पर सुला दे
वो होती है माँ

खुद कितनी भी तकलीफ में हो
बस तुम्हे देखकर मुस्करा दे
वो होती है माँ

खुद कितनी भी भूखी हो
लेकिन तुम्हे अपने हिस्से का
भी खाना खिला दे
वो होती है माँ

खुद कभी स्कूल ना गई हो
लेकिन तुम्हे पढ़ाने के लिए
अपनी पूरी जिंदगी लगा दे
वो होती है माँ

चाहे उसके बच्चे कितने भी बदमाश हो
लेकिन उसे बुरा कहने पर
पूरी दुनिया से लड़ जाए
वो होती है माँ

~विकास कुमार गिरि

Saturday, May 9, 2020
Topic(s) of this poem: mothers day
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Hindi Poem on Mother and mother's day special
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Vikas Kumar Giri

Vikas Kumar Giri

Laheriasarai, Darbhanga
Close
Error Success