मै ना हारा
मै ही हूँ प्रेम
देता सबको सप्रेम
कोई लेता कोई नकारता
पर में कभी ना कतराता।
देना मेरा काम
ना करना उसे नाकाम
बड़ी मुद्दत के बाद निकला है
मन की एक शांत ज्वाला है।
प्रेम में इतनी ताकत?
पर कया है सच हकीकत?
बढ़ जाती है शान और शौकत
बंध हो जाती है सब हरकत।
इसका ना हो अपमान
सदैव होने दो गुणगान
भूल जाओ अपनी शान
बस सिमित सा रखो ज्ञान।
इसीमे ही है जन्नत
मैंने इस लिए रखी थी मन्नत
मै ना हारा और ना हुआ परास्त
सूर्यदेवता ने किया कमाल फिर हुए धीरे से अस्त।
Shabana Ali Rahil Waah..khoob Like · Reply · 8 mins Manage
welcome shabana ali rahil Like · Reply · 1 · 7 mins
इसीमे ही है जन्नत मैंने इस लिए रखी थी मन्नत मै ना हारा और ना हुआ परास्त सूर्यदेवता ने किया कमाल फिर हुए धीरे से अस्त।
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इसीमे ही है जन्नत मैंने इस लिए रखी थी मन्नत मै ना हारा और ना हुआ परास्त सूर्यदेवता ने किया कमाल फिर हुए धीरे से अस्त।... interesting depiction. Beautiful poem it is. Thanks for sharing.