नाम जहाज... Naam Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

नाम जहाज... Naam

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नाम जहाज
सोमवार, ११ मार्च २०१९

तेरा नाम में लेता रहु
माला भी हमेशा गिनता रहु
तेरा नाम ही एक"जहाज"है
इसके सिवा दुनियाको होना खाक है।

सुख में समरू
दुःख में समरु
अच्छा काम तेरे नाम से शुरू
ना सोचु किसीका करने बुरा।

चारो और में देखु विखवाद
लोग फैला रहे जातिवाद
भगवान के नामपर होती लड़ाई
और फिर देते अच्छी सफाई।

जीवन में देखनी पड़ती बुराई
पर लोग करते बहुत चतुराई
जैसे रहना है यहां आजीवन
ओर कभी नहीं छोड़ना है ये"उपवन".

इस में हमें रहना है शांत
नहीं करना है कल्पांत
बस गुजारने है शांति के पल
क्यों सोचना, क्या होगा कल?

हसमुख मेहता

नाम जहाज... Naam
Tuesday, March 12, 2019
Topic(s) of this poem: poem
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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