नहीं नीलाम होने देना Nahi Nilaam Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

नहीं नीलाम होने देना Nahi Nilaam

नहीं नीलाम होने देना

कहा गया है ' जब गीदड़ को मौत आती है '
तो वो शहर को और भागता है
ओर जब रीडर की बुद्धि भष्ट हो जाती है तो वो वीडियो क्लिक है
बस फिर तो शामत ही शामत अपने डाटा को अटक आना शुरू हो जाता है।

देखो तो मुसीबत ना देखो तो इन्तेजारी
पर दिल को है मज़बूरी
एक बार खोई यदि सुबुरी
फिर तो हालत हो जाएगी बुरी।

सब के कम्प्यूटर पर अश्लील चेश्टा शुरू
सब रीडरों का चौतरफा मारा शुरू
सभी एक ही बात पूछ रहे है
'एक ही बात का जवाब मांग रहे है '

हम कैसे बताए आतंकवादी हमारे घर में घुसा हुआ है
मेरी मर्जी के खिलाफ सब भेज रहा है
ना मुझे कुछ भेजने दे रहा है
ना ही ये सब मुज से सहा जा रहा है।

में सब से गुजारिश किए जा रहा हूँ
माफ़ी के लिए एक ही बात केह रहा हूँ
ये मेरा काम नहीं है
हैकर्स ने मेरा कब्जा कर लिया है।

'हाथ मत लगाना '
वीडियो बटन मत दबाना
फिर भी सब लगे हुए है
कई कोस रहे है कई दया दिखा रहे है।

'मुझे ब्लॉक कर दीजिए '
और थोड़े दिन शांत रहिए
में कुछ करता हूँ
फेस बुक में अपडेट करता हूँ।

अब गफलत नहीं करूंगा
बस सीधा सादा वातालाप करूंगा
किसीकी मीठी छुरी का शिकार अब नहीं होना
अपनी आबरू का सरेआम नहीं होने नीलाम देना।

नहीं नीलाम होने देना  Nahi Nilaam
Friday, August 18, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 19 August 2017

welcome raj lodhi tkd Like · Reply · 1 · Just now Manage

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Mehta Hasmukh Amathalal 19 August 2017

welcome sarvan babaji Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 18 August 2017

welcoem suresh ka; lal Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 18 August 2017

welcome mahendrabhai limbachia Like · Reply · 1 · Just now Manage

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Mehta Hasmukh Amathalal 18 August 2017

welcoem rajesh rajput Like · Reply · 1 · Just now

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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