नंदनवन Nandnavan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

नंदनवन Nandnavan

Rating: 5.0

नंदनवन

Monday, May 21,2018
8: 09 AM


मधुर हो हमारे बोल
रिश्ते में हो ना तोलमोल
दुनिया तो है ही गोल
सभी की खुलती है यहाँ पोल।

चीजे तो सभी है खाद्य
पर कौनसी चीजे रहती हैआराध्य
जिह्वा को स्वाद पसंद आए
तो मन को भी भाए।

मौसम का क्या कहना?
वो तो है मन का गहना
पता नहीं किस पे फिसल जाए!
सदाबहार की रंगत लाए

रिश्तों में बदल जाएतो हैखूबसूरती
दिल को भाती और मन को सुहाती
चाहे शहरी हो या देहाती
प्रेम का रंग जरूर दिखाती।

प्रेम का कोई रंग नहीं
उसमे कोई भंग नहीं
उनको मिलने से कोई ना रोके
हम करे सन्मान सब मिलके।

सुबह होते ही हम जुट जाए
कभी मन का कपट ना दिखलाए
भावना शुद्ध और पावन हो
सब के लिए संसार "नंदनवन"हो

हसमुख अमथालाल मेहता

Sunday, May 20, 2018
Topic(s) of this poem: poem
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सुबह होते ही हम जुट जाए कभी मन का कपट ना दिखलाए भावना शुद्ध और पावन हो सब के लिए संसार नंदनवनहो हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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