नर में श्रेष्ठ नरेंद्र
नर में श्रेष्ठ नरेंद्र
बाक़ी सब दरीद्र
मन के और दिल के भी
अपने शहर के और अवाम के भी
हराकरी* शहादत नहीं होती
शौचालय में इबादत नहीं होती
लड़ना कोई अच्छी बात नहीं होती
“बिना सोच घमासान” बुध्धिमानी नहीं होती
भीख में मिली कुर्सी मान नहीं दिलाती
लोगो के पैसे लुटाने se वाहवाही नहीं होती
परदे के पीछे आंसू बहाना चाहना नहीं होती
गरीबो के आंसू पोंछना सिर्फ इंसानियत नहीं होती
नंगा क्या नहाता है?
और क्या पोंछता है?
जिसके जेहन में देशभावना ही नहीं
उनका धरना देना बिलकुल ही उचित नहीं
'बाहें चढ़ाकर कुस्ती का आह्वाहन देना' बुध्धि का प्रदर्शन होता है
'ओछी राजनीती का परिचय और चरित्र हनन करना करना होता है
'मेरे सामने आ जाओ, में दिखा दूंगा ' यह सब देशहित के विपरीत ही होगा
“जो है सामने उसे करके दिखाओ” तो विश्वास का प्रतिक होगा
सब ने अपने बन्दर खुले छोड़ रखे है
सुबह कुछ और शाम को कुछ बकते रहते है
ना इनके बोलने का तरीका काबिले तारीफ है
नाहीं इसमें हमें कोई सच्चा हरीफ़ दीखता है
सबको सामने 'पक्के फल दिख रहे है'
मानो पकवान बिने दाम पक रहे है
ऊँचे महल, शानो शौकत और पैसे दिख रहे है
विदेश से पैसा, ताकत और शोहरत दोनों मिल रहे है
*हराकरी। । स्वयं का हनन
welcome ravi chawae and hemang joshi a few seconds ago · Unlike · 1
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Rajeshwar Singh likes this. Hasmukh Mehta welcome a few seconds ago · Unlike · 1