निगाहें बेकसूर
रविवार, २५ जुलाई २०२१
सुर हो गए बेसुर
वाणी का ही था कुसूर
निगाहे थी बेकुसूर
नहीं मिला सकी सुर में सुर।
आगाह तो मिल गया
दिल ने धीरे से कह भी दिया
कर लो अपनी गलती एहसास
ले लो धीरे से अपनी साँस।
निगाहें तो उन्हे देखती रही
अंदर ही अंदर बेचेन रही
ढूंढती रही बेसव्री से
पूछती रही हर खबरी से।
किन गली गए साजन?
हम तो हो गए बेजान
जैसे शरीर हो गया बिन प्राण
कैसे दू में उसका प्रमाण।
निगाहे ढूंढे हर गली
मेरी बात किसीने ना सुनी
हो जाती है कभी कहा सुनी
हो जाती है दिल से नादानी।
अब तो आन मिलो सजना
बेकरार है हमरे नयना
ना करेगी अब कोई शरारत
कर दिया आपने हमें परास्त।
दिल दिया है जान भी देंगे
हम तुम्हारे हो के रहेंगे
दिल के बदले दिल ही देंगे
सपने हमारे सजाके रहेंगे।
एक दूसरे के मन का सहारा
ना हो दिल का कोई बंटवारा
मन तो है, आशिक़ आवारा
ढूंढता फिरता, मारा मारा।
डॉ हसमुख मेहता
DrNavin Kumar sent Today at 07: 58 वाह वाह DrNavin Kumar sent Today at 07: 58 प्रणाम DrNavin Kumar Upadhyay DrNavin Kumar sent Today at 08: 07 जिंदगी का फलासफा कुछ और है, हम साथ रहकर भी दूर रहा करते हैं। निगाहें हमेशा मिलती रहतीं हमारी,
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welcome..Robert Taylor · Reply · 16 h