Notebandi India Poem by Anjum Firdausi

Notebandi India

( नोटबंदी)

जिधर देखता हूॅ अंधेरा है काला।
ग़रीबों की सारी कमाई पे ताला।

ख़बर है हूकुमत का है ये घोटाला।

अमीरों का घर है ख़ुशी से ऊजाला।।


ज़रा पूछये जा के ऊन बे बसों से।
वो गाॅओं शहर के, सभी बे कसों से।।

कई दिन से बिन काम बैठा है ख़ाली।
नहीं पास पैसा , बना है सवाली।।

ये ज़ुल्मों सितम है , मिला न निवाला।।।
ग़रीबों की सारी कमाई पे ताला।।।।


ये माॅ कह रही है , है बेटी की शादी।
न सोना ख़रीदा , न ले पाई चाॅदी।।

तड़पती है हर शौक़ , हसरत हमारी ।
न आया वो नौशा , न आई बाराती।।।

बहन कह रही है, ये कहती है ख़ाला ।।।
ग़रीबों की सारी कमाई पे ताला।।।।।

न है दूध घर में , न कोई दवाई।
ये कहती है जनता , है कैसी लड़ाई।।

अजब सी है आफत , ग़ज़ब सा तमाशा।
कहीं मुशकिलें हैं , कहीं है हताशा।।

ज़बाॅ कह रही है , ये दिल का है नाला।।
ग़रीबो की सारी कमाई पे ताला।।।।

रचना एवं लेख: - अंजुम फिरदौसी
(ग्रा+पो: -अलीनगर, दरभंगा, बिहार)

Tuesday, January 10, 2017
Topic(s) of this poem: nazm
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Anjum Firdausi

Anjum Firdausi

Alinagar, Darbhanga
Close
Error Success