मेरे पाँव
शुक्रवार, १० अगस्त २०१८
हाथ में था उसके गुलदस्ता
मेरी हालत हो गई खस्ता
दांत उसके अनार की तरह चमक रहे थे
मुझे देख उसनी हंसी ले गुब्बारे उड़ रहे थे।
मैं नहीं समझ पाया उसका रहस्य
पर कुछ तो छिपा था पीछे हास्य
मेरे दिल में उठी एक टिस
और साथ में जगी एक आस।
क्या वो भी ऐसा ही सोचती है?
इसलिए देखकर हसती है
यदि ऐसा है तो मेरे भाग्य खुल गए
मिलने का समय भी बताते गए।
मै क्या कहूंगा जब वो सामने होगी?
चांदनी के सामने चन्द्रमा की हेसयत भी फीकी लगेगी
फुल भी अपनी महक छोड़ देंगे।
फिर हम तो उसकी विसात में क्या होंगे?
उसका रुप वाकई में संमरमर से भी ज्यादा था
पर में भी उनकी खूबसूरती पर आमादा था
कुछ भी हो जाए मुझे उसे पाना ही था
मेने सपनो का आशियाना उस के साथ बसाना था।
मेरे पांव जमीं पर नहीं थे
बस दिन में तारे नजर आ रहे थे
मैं रंगीन दुनिया का नजारा देख रहा था
चाँद सामने था पर फिर भी आस्मां की और देख रहा था।
हसमुख अमथालाल मेहता
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मेरे पांव जमीं पर नहीं थे बस दिन में तारे नजर आ रहे थे मैं रंगीन दुनिया का नजारा देख रहा था चाँद सामने था पर फिर भी आस्मां की और देख रहा था। हसमुख अमथालाल मेहता