पाँव तले रोंदना है Paanv Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

पाँव तले रोंदना है Paanv

पाँव तले रोंदना है

मेरा जीवन तो प्यारा है
पर देश तो अलग और न्यारा है
मेरा तन, मन और धन उसपर हो न्योछावर
बस मिल जाय एक मौक़ा सरहदपर जानेका मान्यवर।

कई कमा लिए पैसे अपने लिए
टाटा, बिड़ला सर्फ नाम कर गए
भगतसिंह ओर सुखदेव हमारे बीच नहीं
पर उन्हें देश कभी भूलता नहीं।

मिलाया है हाथ दो दुश्मनो ने
पर देश में ही हमे बांध रखा है आप्तजनों ने
वो नहीं कर पाए पिछले सत्तर सालो में
आज देहशत है दुश्मनो के मंसूबो में।

वो मारे जा रहे है
फिर भी आ रहे है
गोली खाने को
अपने रक्त से जमीं भिगोने को।

चोर उचक्कों ने हथिया रखा है
कितना धन अपने कुनबे के नाम कर रखा है?
अब बताने नहीं बनता है और सत्ता का मोह बढ़ रहा है
ऐसे चोर महाठगबंधन बनाने जा रहे है।

अपने उसूले के लिए हम राष्ट्रपति चुनेंगे
जो हमारे कहने पर चलेंगे
पर ये नहीं जानते 'उसूलों को तो छोडो'
अपना रहा सहा नाम भी मत तरछोडो।

जनता ने नकारा है
अब आपने दुसरा रास्ता चुना है
हर चीज़ को आपने नकारना है
देश को और पीछे ले जाना है।

अब तो सिख देना छोडो
देश की बर्बादी का सपना मन से निकालो
देश माफ़ नहीं करेगा
कितना ओर युवा धन आपमें फंसेगा।

दुश्मन देश में जाकर आपने प्रधान मंत्री को हटाना है
देश के गद्दारो के साथ आपने कन्धा मिलाना है
वक्त आने पर ठगबंधन की कल्पना साकार करना है
सारा हिन्दुस्तान अपने पाँव तले रोंदना है।

पाँव तले रोंदना है Paanv
Saturday, July 15, 2017
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दुश्मन देश में जाकर आपने प्रधान मंत्री को हटाना है देश के गद्दारो के साथ आपने कन्धा मिलाना है वक्त आने पर ठगबंधन की कल्पना साकार करना है सारा हिन्दुस्तान अपने पाँव तले रोंदना है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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