पगदंडियां बहुत है
किसीकी को अलविदा कहना
अपने मनको उस से जुदा करना
यह कोई सहज बात नहीं
दिन तो काट जाता है पर रात नहीं।
मन में कोई गीला शिकवा नहीं
पर कोई किसम परवा भी नहीं
उसने अपना मकाम बना लिया है
हमने भी उसे मना कर दिया है।
उसको सही चाह होती तो रुक जाता
मुझे किसी और दिशा में जाने को नहीं कहता
अपने विचार को थोड़ा सा बदल ने को कहता
थोड़ा सा विचार बदलता ओर वक्त की मियाज मांगता।
उसको सही चाह होती तो रुक जाता
मुझे किसी और दिशा में जाने को नहीं कहता
अपने विचार को थोड़ा सा बदल ने को कहता
थोड़ा सा विचार बदलता ओर वक्त की मियाज मांगता।
ऐसे बदमिजाज से छूट जाना बेहतर है
क्या कहते लोगो से की हम उसकी मंगेतर हैं?
जिस के भाग्य में लिखा है पीड़ा पाना
उसको बहुत कठिन है समझाना।
घृणा को प्रेम में कोई जगह नहीं
'किसी को अलविदा' कहना कोई इसकी कोई वजह नहीं
सर है तो पगड़ियां बहुत है
पहाड़ के ऊपर चढ़ने के लिए पगदंडियां बहुत है।
घृणा को प्रेम में कोई जगह नहीं किसी को अलविदा कहना कोई इसकी कोई वजह नहीं सर है तो पगड़ियां बहुत है पहाड़ के ऊपर चढ़ने के लिए पगदंडियां बहुत है।
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welcoem alpa negi Unlike · Reply · 1 · Just now 18 minutes ago