पैसा अपना रंग
बुरा वक्त नहीं आता
वह किसीको नहीं सुहाता
फिर भी बिन बुलाये आ जाता
किसी को सताता किसी को भा जाता।
हम भूल जातें है हमारा फर्ज
चढ़ा देते है किसी का कर्ज
फिर हो जाती है शिकायत दर्ज
बढ़ जाता है रोग और हम हो जाते है कर्जदार।
हम जमा करते है पूंजी
और छिपके रखते है कुंजी
एक दिन ऐसा आता है
पैसे से ही दिल उठ जाता है।
पैसा हो जाता है जान का दुश्मन
हो जाता है कटु मन
सम्बन्ध में आ जाती है वैमनष्यता
आदमी वास्तव में दुखी हो जाता।
इंसान हो जाता है ग़ुलाम
करता रहता है सलाम
पर पैसा करता है बुरी तरह से घात
आदमी कर लेता है आपघात।
वो किसी का भी खून कर सकता है
अपने माता पिता को भी भूल सकता है
कई तो बूढ़े माँ बापको रोड पर रहने को मजबूर कर देते है
फिर मंदिर में जाकर बड़ा चढ़ावा लेते है।
ऐसा पैसा अपना रंग जरूर दिखाता है
सुबह से शाम तक लाइन लगवाता है
आदमी परेशान, भूखा प्यासा पैसे को इतना मानता है
सुबह से हि लाइन में खड़ा इन्तेजार करता है।
लोग सब जानते है किसके पास काला धन है?
क्यों जलाया जा रहा और बहाया जा रहा है?
लोगों को खाने को नहीं और नोटों की गड्डियां जमा है
बस अब नहीं ' परेशानी तो जरूर है पर थोड़ा समा और बांध लेते है '
x shukla omy Unlike · Reply · 1 · Just now 14 Nov by
xarvind lohana Unlike · Reply · 1 · Just now 14 Nov
x kavri yadav.. long absence Unlike · Reply · 1 · Just now 14 Nov
x welcome kamran abbasi Unlike · Reply · 1 · Just now 14 Nov by
welcome Rajesh Labana Unlike · Reply · 1 · Just now
xwelcoem sanjiv verma salil Unlike · Reply · 1 · Just now 15 Nov by
xmadhu mulkani Unlike · Reply · 1 · Just now 16 minute
vishal sinnh dodiya Unlike · Reply · 1 · 1 min 15 Nov
xwelcome hasmukh rohit Unlike · Reply · 1 · 1 min 15 Nov by
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xharish solanki Unlike · Reply · 1 · Just now 14 Nov