परी सी
गुरूवार, २६ जुलाइ २०१८
तुम तो परी सी लग रही थी
जैसे आसमान से उतरी थी
मंच पर सुन्दर और मोहक लग रही थी
मेरो आँखे लगातार तुम्हे ही देख रही थी।
ना जाने क्यों एक लगाव सा है
भावनाओं का बहाव सा है
एक कलाकार दूसरे कलाकार को अभिनंदन देता है
ऍबे ही भाव में उसको रंग देता है।
कवी की दुनिया निराली होती है
उसके मन में एक छबि अंकित रहती है
वो उसको सराहता रहता है
और हर भाव में उसके भाव बढ़ते रहते है।
कवी का क्या?
जो मन में आया वो लिखा
दिल मे आया तो सराहना कर दी
और पसंद नहीं आया तो मना भी कर दी।
कुछ भी हो
तुम सब से अलग हो
तेज तर्रार और चतुर
जान ने के लिए हमेशा आतुर।
हो सकता है मेरा लिखना पसंद न आऐ
मेरे विचारों की अभिव्यक्ति ना भाए
लिखना जरुरी है
पर मज़बूरी बिलकुल नहीं है।
हसमुख अमथालाल मेहता
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