परिवाद विहिन् Parivaad Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

परिवाद विहिन् Parivaad

परिवाद विहिन्

कांग्रेसविहीन भारत
भय से कोई नहीं होनारत
जर्जरित और खोखली हुई
पुरानी विरासत को खोती हुइ।

छूट गया है अतीत बहुत पीछे
अब आ गया है परिवारवाद आगे
लालू का परिवार देखो
बेशर्मी की हद के बारे में सोचो।

मुलायम के परिवार के बारे में सोचो
२०० आदमियों के झुण्ड को नोचो
फिर भी सहस तो देखो
निकम्मे और निथल्ले लोंगो का नंगा और उनको नापो।

लालू जेल गया
नाटक करके वापस आ गया
पूरा घास खा गया
पुरे परिवार को करोड़ों की संपत्ति दिला आ गया।

रह गया बाकी तो कसार मीसा ने पूरी कर दी
कितने फार्म, कितनी जमीं और जायदाद इकठ्ठी कर दी
जिसके पास लाख नहीं थे वो आज करोड़ों के मालिक
लोग भो सोच रहे है तनिक।

देश का बंटवारा हुआ तो दो हिस्से बन गए
जाने वाले चले गए और पीछे रोक दिए गए
आज तक हम भुगत रहे उनकी गलत सोच को
भारत बर्बाद बना पड़ा है और रखे हुए है संकोच को।

नामोनिशान मिट जाएगा
बरबादी लाने वाले विदेश भाग जाएंगे
एक ही बन्दा आया है तपते हुए सूरज को लेकर
सुनेगा सबकी और बढ़ेगा आगे सबका साथ लेकर।

परिवाद विहिन् Parivaad
Sunday, August 20, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 21 August 2017

welcome arvind tiwary LikeShow More Reactions · Reply · 1 · 9 hrs Manage

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Mehta Hasmukh Amathalal 21 August 2017

welcome jairama tiwari Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2017

welcome arvind tiwary Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2017

नामोनिशान मिट जाएगा बरबादी लाने वाले विदेश भाग जाएंगे एक ही बन्दा आया है तपते हुए सूरज को लेकर सुनेगा सबकी और बढ़ेगा आगे सबका साथ लेकर।

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2017

मिट जाएगा बरबादी लाने वाले विदेश भाग जाएंगे एक ही बन्दा आया है तपते हुए सूरज को लेकर सुनेगा सबकी और बढ़ेगा आगे सबका साथ लेकर।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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