परिवाद विहिन्
कांग्रेसविहीन भारत
भय से कोई नहीं होनारत
जर्जरित और खोखली हुई
पुरानी विरासत को खोती हुइ।
छूट गया है अतीत बहुत पीछे
अब आ गया है परिवारवाद आगे
लालू का परिवार देखो
बेशर्मी की हद के बारे में सोचो।
मुलायम के परिवार के बारे में सोचो
२०० आदमियों के झुण्ड को नोचो
फिर भी सहस तो देखो
निकम्मे और निथल्ले लोंगो का नंगा और उनको नापो।
लालू जेल गया
नाटक करके वापस आ गया
पूरा घास खा गया
पुरे परिवार को करोड़ों की संपत्ति दिला आ गया।
रह गया बाकी तो कसार मीसा ने पूरी कर दी
कितने फार्म, कितनी जमीं और जायदाद इकठ्ठी कर दी
जिसके पास लाख नहीं थे वो आज करोड़ों के मालिक
लोग भो सोच रहे है तनिक।
देश का बंटवारा हुआ तो दो हिस्से बन गए
जाने वाले चले गए और पीछे रोक दिए गए
आज तक हम भुगत रहे उनकी गलत सोच को
भारत बर्बाद बना पड़ा है और रखे हुए है संकोच को।
नामोनिशान मिट जाएगा
बरबादी लाने वाले विदेश भाग जाएंगे
एक ही बन्दा आया है तपते हुए सूरज को लेकर
सुनेगा सबकी और बढ़ेगा आगे सबका साथ लेकर।
नामोनिशान मिट जाएगा बरबादी लाने वाले विदेश भाग जाएंगे एक ही बन्दा आया है तपते हुए सूरज को लेकर सुनेगा सबकी और बढ़ेगा आगे सबका साथ लेकर।
मिट जाएगा बरबादी लाने वाले विदेश भाग जाएंगे एक ही बन्दा आया है तपते हुए सूरज को लेकर सुनेगा सबकी और बढ़ेगा आगे सबका साथ लेकर।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
welcome arvind tiwary LikeShow More Reactions · Reply · 1 · 9 hrs Manage