पवित्र बंधन Pavitra Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

पवित्र बंधन Pavitra

पवित्र बंधन

अनेखा रहा चयन
वो था एक सुन्दर युवान
ना होगा धनवान
पर था प्रतिभावान।

दिख भी रहा था शोभायमान
हमने भी सोचा क्यों ना सन्मान?
जीवन को संवारने के लिए चाहिए एक अच्छा इंसान
जो रखे अपना और हमारा ध्यान।

हमने धनवाले की प्रतीक्षा नहीं की
बस परखा इंसान को और पुष्टि कर दी
मन में एक अम्बार सा रच गया
मानो मेरी दुनिया का रंग ही बदल गया।

मुझे नहीं पता ऐसा क्यों होता है?
क्यों दिल हरदम धड़कता रहता है?
जीवनपथ पर हम क्यों सुरक्षा चाहते है?
हर डगरपर हम्म क्यों उत्सुक रहते है।

क्यों हम गैरों को अपने दिल में स्थान दे देते है?
ना कुछ सोचकर सबकुछ न्योछावर कर देते है
यही एक दस्तूर है जो सालों से चला आ रहा है
बस नदी की एक बहती धारा सरीखा है।

कई होंगे जो कह नहीं पाते होंगे
अपने मन की बात मन में दबा देते होंगे!
पर हर औरत को ये अधिकार है
क्योंकि करना अंगीकार उसने है!

'शादी का हो जाना भी एक सौभाग्य है
शादी के बारे में अनापशनाप बोलना अयोग्य है
शादी तो है पवित्र बंधन जिसका कोई जोड़ नहीं
सब चाहते है वो बना रहे और उसमे तडजोड नहीं।

पवित्र बंधन Pavitra
Thursday, May 11, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

welcoem aman pandey Like · Reply · 1 · Just now

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शादी का हो जाना भी एक सौभाग्य है शादी के बारे में अनापशनाप बोलना अयोग्य है शादी तो है पवित्र बंधन जिसका कोई जोड़ नहीं सब चाहते है वो बना रहे और उसमे तडजोड नहीं।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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