Pichhe Chhod.. पीछे छोड़ जाता है Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

Pichhe Chhod.. पीछे छोड़ जाता है

पीछे छोड़ जाता है

सैलाब आ गया
मुझे बहांके ले गया
कर लिया अपने आगोश में
चुप ओर खामोश थी में।

ना पूछना दिल का हाल
हम वैसे भी थे कंगाल
दिल का धनी तो वोही था
सच्चा प्रेमी और निर्मोही था।

चाहकर भी हम आगे बढ़ ना सके
रुकरुक कर भी आंसू न बहा सके
चाहते तो समंदर लहरा उठता
मुखे अपने साथ बहा ले जाता।

कुछ सोचकर हमें घ्यात हुआ
बाजी बिगड़ी और हालात खराब हुआ
चाहकर भी में आँखे ऊपर ना उठा सकी
'सैया में आपकी ही हूँ 'कह ना सकी।

कश्ती पर सवार तो जरूर हूँ
पर दिल से बेकरार हूँ
मुझे हमसफ़र का इंतजार है
"मुझे उसे प्यार है" उसका इकरार है।

ना पूछ बैठना 'ये सब माजरा क्या है'?
यह प्यार भरा हिंस्सा हमारा है
मुझे बार बार अपनी और खींचता रहता है
ना बहा ले जाता है पर हरदम पीछे छोड़ जाता है।

Pichhe  Chhod.. पीछे छोड़ जाता है
Monday, May 2, 2016
Topic(s) of this poem: poem
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ना पूछ बैठना ये सब माजरा क्या है? यह प्यार भरा हिंस्सा हमारा है मुझे बार बार अपनी और खींचता रहता है ना बहा ले जाता है पर हरदम पीछे छोड़ जाता है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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