पीड़ादायक
सोमवार, २८ जनवरी २०१९
नाही ही ये नादानी
नाही गैरसमझदारी
इस में है समझदारी
जरूर उसमे है दुनियादारी।
आवाज दे देती है
मुजे हिला देती है
सपने मे भी बता देती है
की वो क्यों रोती है?
पर मुझे लगती थी पहचानी?
अच्छी लगती थी मुझे वीरानी
हर बार वो आके मुझे जगा जाती थी
में दिल को झंझोड़ जाती थी।
वो नहीं कह पाती
अपनी सिसकियाँ भर जाती
दर्द से कराहती
मुझे मायूस कर देती
मेरा उसे मना कर देना
रिश्ते को ठुकरा देना
बस जान पर बन आई
वो जान देकर चली गई।
में बेचेन रहता हूँ
उसकी हर बातकिसी को नहीं कह सकता
मेरी कहानी है दर्दभरी
अत्यंत पीड़ादायक और दुखभरी।
हसमुख मेहता
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में बेचेन रहता हूँ उसकी हर बात किसी को नहीं कह सकता मेरी कहानी है दर्दभरी अत्यंत पीड़ादायक और दुखभरी। हसमुख मेहता