प्रभु में आस्था
Monday, July 16,2018
9: 22 PM
प्रभु में आस्था
रखता है स्वस्थ आत्मा
जो कहता है उन्हें परमात्मा और ईश्वर
उनका नाम लेते लेते छोड़ देता है देह नश्वर।
नाम तो रोज लेते है
अपने आपको समर्पित करते है
दिली ख्वाहिश को अर्पित करते है
और अपने को भक्त कहलाते है।
उनको हर चीज़ में रब दिखता है
मानते है वो पेड़, पौधे और जानवर में भी रहता है
उसकी इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिल सकता
सब रहना चाहते है, रहना परभु के चहेता।
यही है हमारा संकल्प
भले ही हो जीवन अल्प
हम निति की राह पर ही चलेंगे
प्रभु का नाम बारबार लेते रहेंगे।
कर्म के साथ साथ धर्म
छोड़ी है राह अधर्म
कुछ तो होगा इसका मर्म
भेद तो रखना होगा, क्या हो सत्कर्म और कुकर्म?
छोड़ जाएंगे पीछे पदचिन्ह और नाम
याद किया जाएगा सुनहरा काम
सब की लबों पे होगा तेरे कामों का हिसाब
लोग ही देंगे इसका जवाब।
हसमुख अमथालाल मेहता
छोड़ जाएंगे पीछे पदचिन्ह और नाम याद किया जाएगा सुनहरा काम सब की लबों पे होगा तेरे कामों का हिसाब लोग ही देंगे इसका जवाब। हसमुख अमथालाल मेहता
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
welcome celeste d erni