प्रकृति और आदमजात
Friday, May 18,2018
2: 24 PM
कौन कहता है?
कुदरत की आँखे नहीं है
वो नहीं देख सकती है
वो मदद नहीं कर सकती है।
सब आकाश की और देखते है
बारिश के आगमन की राह देखते है
पशु, पक्षी सभी का एक ही केंद्र है
ये सब कुदरत का कमाल है।
धरती का नजारा अभी खुश्क है
मौसम भी शुष्क है
बस अब तो आगमन की ही देर है
बस काले बादल छा जाए इतनी ही देर है
पहाड़ के नजदीक ही अम्बर है
यह कोई आडम्बर नहीं है
सब अपनी अपनी मस्ती में मस्त है
कुदरत से बिलकुल आश्व्स्त है
हम भी बिलकुल नचिंत है
मानवजात भी चिन्तित नही है
एक अजीब सा तालमेल है
प्रकृति और आदमजात का सुमधुर मेल है।
हसमुख अमथालाल मेहता
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