पुष्पगच्छ.. Pushp Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

पुष्पगच्छ.. Pushp

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पुष्पगच्छ
गुरूवार, १४ फरवरी २०१९

गगनभेदी नारा
यह है संकल्प हमारा
नाहो कोई गैर हमारा
सबगहरा सम्बन्ध हमारा

ना किसी से बैर
रखते सबकी खबर
हम तोनिभाते अपना कर्म और
सही समजा है उसका मर्म

ये मेरा पुष्पगच्छ
ना समजना इसे तुच्छ
दिल की गेहराइयों सेहमने इसे दिया
आपने भी इसे कुबूल फ़रमाया

ना रिश्ता ना कोई नाता
फिर भी हम सबको भाता
इस मित्रता का सन्देश
हम भेजते देश-विदेश

मानवता का जागता उदाहरण
ना हो इसका कभी चीरहरण
बस उज्जवल रहे यह प्रकरण
भले ही जीवन आता रहे आधुनिकरण

हमारी यही चाह है
बस दोस्ती की राह है
सुख ही सुख और नाही कोई "आह" है
सब के चेहरे पर ख़ुशी और "वाहवाह"है

हसमुख मेहता

पुष्पगच्छ.. Pushp
Wednesday, February 13, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 February 2019

हमारी यही चाह है  बस दोस्ती की राह है  सुख ही सुख और नाही कोई " आह" है  सब के चेहरे पर ख़ुशी और " वाहवाह" है  हसमुख मेहता  From

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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