प्यार के परवाने... Pyaar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्यार के परवाने... Pyaar

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प्यार के परवाने
मंगलवार, २ अक्टूबर २०१८

वो सर हिलाती रही
और मन में गुनगुनाती रही
चेहरे की लकीरे बदलती रही
पर भावों में गरिमा छायी रही।

में गुमसुम बैठा सुनता रहा
उसके चेहरे को ध्यान से निरखता रहा
वारावरण में रहा नीरसता का साया
वो कहती रही में सुनता रहा।

"हम कभी भी मिल ना पाएंगे"
मौत को हम गले लगाएंगे
यदि ज़माना यूँही सताता रहेगा
प्यार तबतक बलिदान देता रहेगा।

ये जेहाद है या कोई विवाद है?
ना मिलता यहाँ कोई लवाद है
कहने को तो प्यार को सब संजोते है
सही प्यार को दिल से परख ते भी है।

उसकी बातो में सच्चाई की रणकार थी
समय की पुकार और ललकार थी
उनका ना कोई पक्षकार था
और लोगो का भी कोई अधिकार था।

हमने जीने की चाह नहीं छोड़ी
अपने प्यार की राह नहीं छोड़ी
प्यार में परवाने यूँही जल जाते है
दिल के दीवाने कहींकहीं मिल भी जाते है।

हसमुख अमथालाल मेहता

प्यार के परवाने... Pyaar
Monday, October 1, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 01 October 2018

हमने जीने की चाह नहीं छोड़ी अपने प्यार की राह नहीं छोड़ी प्यार में परवाने यूँही जल जाते है दिल के दीवाने कहींकहीं मिल भी जाते है। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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