जिंदगी से प्यार... Pyaar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जिंदगी से प्यार... Pyaar

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जिंदगी से प्यार
रविवार, १२ जुलाई २०२०

जिंदगी से प्यार कर
ओर अपने पर भरोसा रख
धीरे से प्यार का मजा चख
हो सके तो बदल दे अपना रुख।

पूरी श्रुष्टि को उसने बनाई
और फिर चिंता जताई
कहीं मानवजात दगा ना कर दे!
अपने ही भाइयों के लिए ज़हर ना गोल दे।

नदी, नालों को दूषित ना कर दे
सुंदर पहाड़ियों पर कचरे का ढेर ना कर दे
हवा को दुषित कर के मानवजात के लिए ख़तरा ना पैदा कर दे
कसर रह जाए बाकी तो अविश्वास का माहौल ना खड़ा कर दे।

फिर भी उसे ने सोचा "एक मौक़ा और दे दो "
संसारक्रम को ऐसे ही चलने दो
जैसा कर्म करेंगे वैसा ही भुगतेंगे
अंतिम समयपर नाली के कीड़े की तरह रेगेंगे।

अच्छे और भले लोग भी मिलेंगे जो सब को साथ ले के चलेंगे
सबका भला और प्रेम का संपादन करेंगे
ऐसे लोगों को हमारा शत- शत नमन
दिल से दुआ और प्रेम से अभिनन्दन

जिदंगी से प्यार हो जाय तो उसे याद कर लेना
मनोमन उपकारवश प्रार्थना कर लेना
सर झुकाकर उसके अस्तित्व का स्वीकार कर लेना
आपकी मनोव्यथा व्यक्त कर के आभारवश वंदन कर लेना।

हसमुख मेहता

जिंदगी से प्यार... Pyaar
Saturday, July 11, 2020
Topic(s) of this poem: poem
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जिदंगी से प्यार हो जाय तो उसे याद कर लेना मनोमन उपकारवश प्रार्थना कर लेना सर झुकाकर उसके अस्तित्व का स्वीकार कर लेना आपकी मनोव्यथा व्यक्त कर के आभारवश वंदन कर लेना। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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