प्यारे कानाजी.... Pyare Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्यारे कानाजी.... Pyare

Rating: 5.0

प्यारे कानाजी

रविवार, जुलाई २०१८

राधे, राधे, राधे, राधे
तुम बीन है हम आधे आधे
जीवन हम से भागे भागे
हरदम दुखड़ा जाए आगे।

राधे का मोहन
रहा मनभावन
सदा हसावन
जीवन बने नंदनवन।

जीवन की घट है न्यारी
पानी भरत है पनिहारी
पर आंखमिचौली करती नारी
प्रभू आप की है सदा बलिहारी।

राह देखे सब व्रजवासी
में रहूं सदा आप की प्यासी
जल में रहूं मिनपियासी
आपकी सूरत मेरे मन में बसी।

रटण करूँ में हरी हरी
कहाँ गए तुम व्रजविहारी
सखिया व्याकुल हो गई सारी
मन में बसे हो तुम मुरारी।

मेरा दुखड़ा दूर करो जी
तुम हो मेरे प्यारे कानाजी
अब तो सुन लो हमरी अरजी
हम नहीं कहते बाते फरजी

हसमुख अमथालाल मेहता

प्यारे कानाजी.... Pyare
Sunday, July 8, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

welcome Harshad Gosai 3 mutual friends 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply

Simran Garg Very nice line 1 Manage Like · Reply · 2m

0 0 Reply

welcome ujjal saikia 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply

welcome Celeste D. Erni 1 mutual friend 1 Manage LikeShow more reactions · Reply · 1m

0 0 Reply

मेरा दुखड़ा दूर करो जी तुम हो मेरे प्यारे कानाजी अब तो सुन लो हमरी अरजी हम नहीं कहते बाते फरजी हसमुख अमथालाल मेहता

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success