रहम करो नीचे रहनेवाले का।.. raham karo Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

रहम करो नीचे रहनेवाले का।.. raham karo

रहम करो नीचे रहनेवाले का।

आम आदमी
बेहाल कदमी
हर कोई सुनाता
बनता कोई ना विधाता।

हम फूटपाथ पे सोते
कभी नहीं लजाते
किस्मत को जरूर कोसते
उठते और बैठते।

जिसके मन में आये
हमारी जुग्गी जलाये
हम फिर रोड पर आ जाए
किस्मत को कैसे कोस पाए?

आज मजुम छलक पड़ा है
हर कोई हमारे लिए आंसू बहा रहा है
'हम बिजली पचास प्रतिशत कर देंगे'
रहने को घर भी दे देंगे।

इनसे झूठ भी बोला नहीं जाता
हमारे पैसे का हिसाब भी करना नहीं आता
हमारे में से ही अपना पेट भर लेंगे
बाकि बचा कुचा हमारी भेंट चढ़ा देंगे।

इन्हे शर्म क्यों नहीं आती?
मेडियावालोंको भी अच्छी खासी कमाई हो जाती
उनको बोलनेके लिए फ्रीडम चाहिए
जूठे लोगों को बोलने के लिए बस एक जगह चाहिए।

हम जानते है आप के पास 'मोटी चमड़ी है'
जबान जैसे लोमड़ी की है
हम सब नजरअंदाज कर सकते है
क्योंकि आप हमारे अपने है।

हमारा अपना मुल्क है
फिर भी रहने को शुल्क है
जीवन निश्तेज और शुष्क है
क्योंक हमें कहते सब 'कनिश्क' है।

कोई नहीं जानता कोन कहाँ जाता है!
हर कोई बनता दाता है
थोड़ा सा खौफ रख लो ऊपरवाले का?
रहम करो नीचे रहनेवाले का।

Tuesday, January 20, 2015
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 21 January 2015

Hasmukh Mehta Rosalba Bernal, Girish Dhobi, Sanjay Gaudani and 2 others like this. Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 21 January 2015

Ejaz Mazari Wow... Nice art 25 mins · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 January 2015

Darling Napone likes this. Hasmukh Mehta welcome Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 January 2015

रहम करो नीचे रहनेवाले का। आम आदमी बेहाल कदमी रहम करो नीचे रहनेवाले का।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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