रास्ते आसान नहीं... Raste Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

रास्ते आसान नहीं... Raste

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रास्ते आसान नहीं

शनिवार, १८ अगस्त २०१८

मै तो चलूंगा अपनी राहपर
बनूंगा किसी का राहबर
आंसू पोछूँगा और हालचाल पूछूंगा
बन कर उसका रहनुमा।

रास्ते आसान नहीं
ओर मुश्किल भी तो नहीं
बाधाएं तो आती रहेगी
परीक्षा भी लेती रहेगी

यह मेरा सफर है
उसमे कोई फेर नहीं है
मुझे तो चलना ही है
हर हाल में बढ़ना हैं।

कोई साथ मिले या ना मिले
हम तो जाएंगे अकेले
यहां तो जीवन के है मेले
लगते है सब के फेरे।

ना तूफ़ान या आंधी का डर
यहाँ नहीं है कोई अमर
मरना सभी को है
जाना सभी को है।

ना पीछे हटूंगा
और नाही पूछूंगा
बस एक ही होगा नारा
जहां तो है ही हमारा।

ना उलझूंगा और नाही उलझाउंगा
मेरी नाव को आगे ही ले जाऊंगा'
जो भी साथ हो लेगा
उसको उसपार जरूर पहुंचाऊंगा।

हसमुख अमथालाल मेहता

रास्ते आसान नहीं... Raste
Friday, August 17, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 17 August 2018

ना उलझूंगा और नाही उलझाउंगा मेरी नाव को आगे ही ले जाऊंगा' जो भी साथ हो लेगा उसको उसपार जरूर पहुंचाऊंगा। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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