रिश्ते भी रहेंगे.. Rishte Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

रिश्ते भी रहेंगे.. Rishte

रिश्ते भी रहेंगे
Monday, January 14,2019
7: 20 AM
नहीं झुकोगे
और नहीं रुकोगे
नहीं पछताओगे
और आगे ही जाओगे।

जूठ तभी सताता है
जब अपनों को रुलाता है
सम्बन्ध में छेद करता है
और खेद प्रगट करता है।

यदि असत्य वचन उम्दा कार्य के लिए हो
तो वो अभिशाप नहीं आशीर्वाद बन जाता है
यदि उसका इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए हो
तो वो नारकी बन जाता है।

जूठ का सहारा तभी लिया जाता है
जब दिल में डर सताता है
एक दूसरे के प्रति अविश्वास पैदा हो जाता है
कटुता का जन्म होता है।

रिश्ते भी रहेंगे
हम मिलते भी रहेंगे
सत्य भी खोजेंगे
और मजे से रहेंगे भी

हसमुख मेहता

रिश्ते भी रहेंगे.. Rishte
Sunday, January 13, 2019
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 January 2019

रिश्ते भी रहेंगे हम मिलते भी रहेंगे सत्य भी खोजेंगे और मजे से रहेंगे भी हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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