Rishton Me Kadwahat (Hindi) रिश्तों में कड़वाहट Poem by S.D. TIWARI

Rishton Me Kadwahat (Hindi) रिश्तों में कड़वाहट

रिश्तों में कड़वाहट

रिश्तों में कड़वाहट का जो जहर घुला।
सुलगता दिल, तन जलाने पर तुला।
निकले थे थामे, एक दूजे की बाँहों को
जगाये थे उल्फत के जुनूनों को बुला।
गुजारे थे साथ हँसीं, सालों तक हम
कैसे सकते हैं, उन लमहों को भुला।
लेता ना फिर से, उठँघने का नाम
तकरार का एक दिन, किवाड़ जो खुला।
नफ़रत की बरसात हुई बेमौसम ही
उल्फत का हर जर्रा, पानी में धुला।
बहते आंसुओं से ओद फिजायें सारी
साथ साथ रोना, गयी हवा को रुला।
झुलस चुके, जलते दिल की गरमी से
फिर भी रहे पलने में, शोलों को झुला।

एस० डी० तिवारी

Monday, June 6, 2016
Topic(s) of this poem: hindi,relationship
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