रिश्तों की पवित्रता.Riste Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

रिश्तों की पवित्रता.Riste

रिश्तों की पवित्रता
शनिवार, ८ सितम्बर २०१८

हवा का ये नजारा
देखकर दिल कभी ना हारा
सदैव दिल से पुकारा
और आपने भी कभी नहीं नकारा।

यही तो इसमें शक्ति है
दिलपर ये बात अंकित है
चाहे कोई पढ़ ले या ना पढ़ ले
पढ़ा लिखा या अनपढ़ बखूबी से जान ले।

हवा आप की बात बहु दूर तक ले जाएगी
आप के किस्से सभी को बतलाएगी
जहाँ भी होगी प्यार की चर्चा
आप का भरा जाएगा पर्चा।

अब तो जान मुश्किल में पढ़ गई
सब को इसकी भनक लग गई
किस किसको आप नकारो गे?
क्या अब भी आप नहीं कहोगे।

बुराई नहीं है प्यार करने में
सच्चाई है इजहार करने में
इस से मान भी बढ़ेगा
और प्यार का रूतबा भी कायम रहेगा।

शर्म नहीं आनी चाहिए
पर खुल्ले में बताना चाहिए
हो सकता है आप नहीं जानते हो
और ही मन घुटते रहते हो।

प्यार में मर मिट जाना अलग बात है
सम्बन्धो को निभाना गौरव की बात है
हो सके तो रिश्तों को पवित्रता की संघ्या दो
जहा तक संभव हो उसे मिथ्या ना होने दो।

हसमुख अमथालाल मेहता

रिश्तों की पवित्रता.Riste
Saturday, September 8, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 08 September 2018

welcome sanjay doshi

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Mehta Hasmukh Amathalal 08 September 2018

प्यार में मर मिट जाना अलग बात है सम्बन्धो को निभाना गौरव की बात है हो सके तो रिश्तों को पवित्रता की संघ्या दो जहा तक संभव हो उसे मिथ्या ना होने दो। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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