रौशनी और उझाला
मुझे जिंदगी से कोई शिकायत नहीं
गुजर जायेगी रही सही
क्यों में फ़िक्र करूँ उन बातों की?
जो आके रोज सताये फालतू की!
मेरे वजूद के पेहचाननेवाला बस एक ही है
'में उसे भगवान् कहूं या परवरदिगार ' बस मेरा ही है
में जैसे ही आँखे बंध करू 'उसके दर्शन हो जाते है '
सारे अनजान गुनाह जैसे माफ़ हो जाते है।
मैंने किसी से कुछ नहीं मांगना
बस सिर्फ उन खतरों से भागना
जो मुझे ललचा रहे है
मुझे खिंचा खिंचा सा महसूस करवा रहे है।
में अर्ज करूँ 'मुझे माफ़ कर दो '
अपनी गोदी में समालो
मुझे प्यार की भूख लगी है
आसमान को छुपके छुपके देखने लगी है
मैंने सर झुका किया और मन्नत मांग लिया
देना है तो दे देना एक छोटा सा बुझता हुआ दिया
में उसका जतन करुँगी और बुझने नहीं दूंगी
जगत में उझाला और रौशनी कायम कर दूंगी।
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मैंने सर झुका किया और मन्नत मांग लिया देना है तो दे देना एक छोटा सा बुझता हुआ दिया में उसका जतन करुँगी और बुझने नहीं दूंगी जगत में उझाला और रौशनी कायम कर दूंगी।