रूपांतरण
गुरूवार, १४ मार्च २०१९
कैसे करु धन्यवाद?
उत्तम है अनुवाद
लाजवाब और बेनमून
हमतो पढ़के ही हो सुनमुन।
खुश रहो अपने काम
यही है हमारी कामना
करते आपकी यशोकामना
और उत्तरोत्तर हो आपकी नामना
आपने हमें खुश कर दिया
हमारी ही कृति को अपनी भाषा में रूपान्तरित कर दिया
क्या तर्ज थी और क्या थी मिठास?
हमें और भी बंधी आस।
तर्जुमान को भी मिले धन्यवाद
जो हमेशा रहता है आशावाद
सही माइनो में होता उसका अनुवाद
और फिर मिलता उसका प्रतिसाद।
जाता में बेनमून है साहित्य
यदि उसमे रहे सातित्य
और हो जाए सटीक अनुवाद
फिर तो आशावान रहेगा मनुष्यवाद।
साहित्य एक आशीर्वाद है
उसमे समय नहीं है बर्बाद
देश भी रहता आबाद
संस्कृति भी झलक जाती जब होता संवाद।
हसमुख मेहता
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