रुसवाई को जाना होगा.. Rusvaai Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

रुसवाई को जाना होगा.. Rusvaai

रुसवाई को जाना होगा

मंगलवार, १७ जुलाई २०१८

कहाँ खो गए हो?
बदले बदले से लगते हो
चेहरे से नूर हट गया है
कालिमा से ढँक गया है।

ऐसा भी क्या बुरा कह दिया है!
जो मन में आपने ले लिया है
इतनी फजीहत तो मत करवाओ
दिल में दिल्लगी को ना बुलवाओ।

हम तो ठहरे इश्क़ के पुजारी
आपके रहे है सदा आभारी
हमारे प्रेम को आपने पनपा
पर हमने भी कभी ना खोया आपा।

यही तो है प्यार की खूबसूरती
जो नहीं मिलती, करने से भी विनती
जब दे दिया है इतना तोहफा
फिर क्यों रहते हो हमसे खफ़ा?

प्यार में कोई अनबन नहीं ही
बस हो हमेशा खुशियां वही
आपका चेहरा हँसता रहे
ग़मगीनियों को मना करता रहे।

हम जब भी आज मिलेंगे
हंसीखुशी से बाते करेंगे
ना गीला और ना शिकवा होगा
बस रुसवाई को जाना होगा।

हसमुख अमथालाल मेह्ता

रुसवाई को जाना होगा.. Rusvaai
Monday, July 16, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

welcome GHe Rubiales Friend Friends

0 0 Reply

welcome Celeste D. Erni 1 mutual friend 1 Manage Like · Reply · 1m

0 0 Reply

welcome \ Lexine Roces Friend

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success