सब को साथ लेकरsab Ko Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सब को साथ लेकरsab Ko

सब को साथ लेकर

हिन्दू अपनी घोर खोद रहे है
सभी अपने अपने घर सुख की नींद ले रहे है
नहीं जानते हिन्दुस्तान किसका रहेगा?
कोई हिन्दू नहीं बचेगा।

चीन ने बाहे मजबूत कर ली है
अपनी मौजूदगी पक्की कर ली है
खोने का खुछ भी नहीं
जो भी मिल जाए उसे लेने मेंकोई परहेज नहीं।

उधर पाकिस्तान के नाकाम तरीके सामने आ रहे है
उसके आतंकवादी तो मर ही रहे है
पर हमारे सपूत जान गँवा रहे है
फिर भी गद्दार अपने डफली बजाने से बाज नहीं आ रहे।

हारे हुए जैचंद इटली से अपना नेता लाए है
सभी नजदीक आने की होड़ में हिन्दुस्तान को शर्मिन्दी करा रहे है
"दे दो जो वो चाहते है " यह भूतपूर्व वित्तमंत्री कह रहे है
अपने बच्चेकी करतूत छिपा रहे है।

इतने पैसे डकारकर भी उन्हें चेन नहीं
लगता है उनको कोई माँ बहन नहीं
जैसे जोधाबाई को दे दिया
भारत माता का ये सब यही हाल करेंगे

पाटीदार लोग सुन ले
नौकरियां भी पा ले
अपना ताबूत खुद बना रहे हो
अपने ही जातभाई को मुर्ख बना रहे हो।

इन्होने सशत्रदलों को भी नहीं बक्शा
फैली थी असमानता और हताशा
लड़ने के लिए सात दिन का बारूद भी नहीं
बस नॉट गिनने के लिए फुर्सत नहीं।

जनता ने नकार दिया तो नए हथकंडे अपना रहे है
हर चीज़ परअड़ंगा और अपनी राय थोपना जानतेहै
पकिस्तान को ईंटका जवाब पत्थर से मिल रहा है
उनका हिसाब भी गुंजरात की जनता को देना है।

पुरे विश्व में कोई स्थान नहीं होगा
यदि हिन्दू को कोई आके पटखनी देगा
समझलो पूरी सदी तक कहीं भी जल प्राप्त नहीं होगा
औरते और लडकियों कोइस से भी बदतर सामना करना होगा।

वक्त है माँ भोम की सेवा करने का
सब को सम्हालने का
अपने ध्येय की और आगे बढ़ने का
और सब को साथ लेकर चलने का।

सब को साथ लेकरsab Ko
Monday, October 30, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 30 October 2017

वक्त है माँ भोम की सेवा करने का सब को सम्हालने का अपने ध्येय की और आगे बढ़ने का

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