सब बेहाल Sab Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सब बेहाल Sab

सब बेहाल

सब बेहाल नहीं होते
हालको सब नहीं बाते
वो कभी नहीं रोते
और कह भी देते है हँसते हँसते।

छोडो हाल कल के लिए
ना पूछो हाल अपनी लत के लिए
सब बोलेंगे 'दाल रोटी मिल जाती है '
बाकी सुख चेन से बसर हो जाती है।

हाल तो हम पैदा करते है
फिर भी वादा करते है
कभी ये नहीं कहते!
सब दिल से ' राम राम ' करते।

कोई बात नहीं
आज नहीं तो कल सही
हाल सुधरेंगे
हम भी उसे अपनाएंगे।

हमारा कभी ना में उत्तर नहीं
सही और गलत में हमारा कोई उत्तर नहीं
हम सिर्फ उस में सुधार करेंगे
अपने सुधरने का एक प्रयास करेंगे।

सब बेहाल Sab
Saturday, July 8, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

हमारा कभी ना में उत्तर नहीं सही और गलत में हमारा कोई उत्तर नहीं हम सिर्फ उस में सुधार करेंगे अपने सुधरने का एक प्रयास करेंगे।

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success