सफर
शनिवार, २५ अगस्त २०१८
मेरे हमसफ़र
काटना है साथ सफर
हम दोनों है एक जिगर
हाथ बढ़ाना इस सफर।
दोनो ने सोचा
रहेंगे साथ हमेशा
यही थी मनसा
बस जग उठी सहसा।
यह शहर है तमन्ना का
फैसला भी होता है भाग्य का
जो मिल जाए मानवान्छु फल
सुनहरी होगी हमारी कल।
ना कभी छोड़ जाना
और थोड़ा सा भी सताना
यही है हमारी कामना
भूल यदि हो जाय तो माफ़ कर देना।
हाथ पकड़कर उठा देना
यदि गिर जाएति सम्हाल देना
मेरी भी ये मानना
कदी ना हो किसीकी अवहेलना।
साथ जिएंगे साथ चलेंगे
मीलकर दुःख को हम बांटेंगे
खाएंगे हम रुखासुखा
यदि हो जाएंगे खाने के वखा।
हसमुख अमथालाल मेहता
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साथ जिएंगे साथ चलेंगे मीलकर दुःख को हम बांटेंगे खाएंगे हम रुखासुखा यदि हो जाएंगे खाने के वखा। हसमुख अमथालाल मेहता